सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि मै प्रवेश को सक्रांति कहते है, और सूर्य जब धनु राशि से मकर राशि मैं प्रवेश करता हैं, इस कारण यह पर्व मकर सक्रांति कहलाता है। हालांकि, भारत भर में यह पर्व भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न नामों से मनाया जाता है। इस साल देश भर में मकर संक्रांति का त्यौहार १४ जनवरी को मनाया जायेगा।
यदि धार्मिक मान्यता और पौराणिक कथाओं को देखा जाए तो, यह प्रक्रति की उपासना का पर्व है। मकर संक्रांति के त्यौहार के पूर्व देश के विभिन्न कोनों में शीतलहर से बुरा हाल होता हैं। पर संक्रांत के पश्चात् से सूर्य उतरायण हो जाता है। सूर्य के उतरायण होने से वातावरण गरम होने लगता है और प्रक्रति मै परिवर्तन आने लगता है। सूर्य मकर राशि यानी शनि की राशि है। साथ ही, यह सूर्य की शत्रु राशि मानी जाती है, इसलिए सभी राशियों पर इसका प्रभाव भी अधिक पड़ता है।
सामन्यत: सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करता है, किंतु कर्क व मकर राशियों में सूर्य के प्रवेश का महत्व अधिक होता है। यह एक संक्रमण काल होता है जो छः-छः माह के अंतराल पर होता है।
मकर सक्रांति से पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में होता है इसलिए रातें बड़ी और दिन छोटे होते है। यही कारण हैं की तापमान कम हो जाता है। किंतु मकर सक्रांति से सूर्य उत्तरी ग़ोल्लार्ध की तरफ़ आना शुरू हो जाता है और दिन तिल की तरह शने-शने बड़े होने लगते है, तापमान मै व्रद्धि होने लगती है।
हर हिन्दू पर्व की तरह इस पर्व से जुड़ी कई धार्मिक व पोराणिक मान्यताए व घटनायें जुड़ी हुई है जो की इस प्रकार हैं-
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